व्यक्तित्व विकास : Personality Development Part -2
BODY – LANGUAGE AND YOUR PERSONALITY
Personality-development सबसे पहले आप यह जाने की भावनाओं , विचारों और सूचनाओं को किस तरह आदान प्रदान किया जा सकता है। जिस प्रकार दुनिया में अनेक तरह की भाषाएं हैं जैसे हिंदी अंग्रेजी गुजराती मराठी बांग्ला संस्कृत उर्दू विभिन्न प्रकार की भाषा तथा संगीत की भाषा और आज के युग में कंप्यूटर की भाषा इस तरह बहुत कुछ है।
सुनने का तरीका
कहते हैं कि बोलना एक कला है, परंतु सुनना उससे भी बड़ी कला है। Personality-development एक अच्छा वक्ता वही हो सकता है जिसमें सुनने का धैर्य हो। सुनने का तरीका जो होता है वह है कि अलग ही तरीका होता है जिसकी वजह से यह पता लगाया जा सकता है कि उसका व्यवहार कैसा है और व्यक्तित्व कैसा है।
आंखों को खोलकर सुनना।
आंखें बंद करके सुनना।
आंखें मिला कर सुनना।
सुनने के बाद बोलना।
सुनकर शांत रह जाना।
मुट्ठी बंद करके सुनना।
किसी बात की चिंता में रहते हुए सुनना।
बैठने का ढंग
चलना फिरना उठना बैठना हर व्यक्ति की सामान्य क्रियाएं होती हैं। किसी भी व्यक्ति के बैठने के ढंग से आप उसका पता लगा सकते हैं कि इसका व्यक्तित्व क्या है उसके व्यक्तित्व को जाना जा सकता है। व्यक्ति की परिस्थितियों के अनुसार व्यक्ति के बैठने के ढंग में परिवर्तन आ जाता है। और फिर भी बहुत सारी आदत ही ऐसी होती हैं जोकि चाहते हुए भी नहीं बदली जा सकती। Personality Development
सहारा लेकर बैठना।
सीधे बैठना।
आगे होकर बैठना।
झुककर बैठना।
घुटनों को मोड़ कर बैठना।
दुखी वे चिंता की मुद्रा में बैठना।
गाल पर हाथ रखकर बैठना।
हाथ बांधकर बैठना।
बात करने का ढंग
दोस्तों बातचीत करना है कला। जिसके अंदर आप अपने शब्दों को किस तरह किसी के सामने रखते हैं मतलब बोलते हैं वह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। कुछ तो हम क्या बोलते हैं इसका तो मैं तो है परंतु हम कैसे बोलते हैं यह उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्या हम इशारों से बात तो नहीं कर रहे हैं यह हमारी बातों से यह तो नहीं लग रहा है कि कोई हमारी कमी को पकड़कर हमारा मजाक बना रहा है। बात करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कला है।
तेज स्वर में बोलना।
धीमे धीमे में बात करना।
बनावट स्वर में बात करना।
बोलते समय मुंह से झाग निकलना।
आंखें मिला कर बात करना।
इधर-उधर देखते हुए बात करना।
बातचीत के दौरान हाथों को हिलाना।
अंगुलियां या हाथों से इशारों से बात करना।
Personality-development पढ़ने का तरीका
जिस तरह लिखने और बोलने का तरीका हमारे भीतर छुपे कला प्रतिभा व्यक्तित्व व्यवहार तथा आत्म विश्वास आदि को दर्शाता है, ठीक उसी तरह हमारे पढ़ने के ढंग भी हमारे व्यक्तित्व व्यवहार पर मानसिक स्थिति आदि को बताते हैं चलिए जानते हैं कि पढ़ने के क्या क्या तरीके हैं।
चुपचाप पढ़ना।
बोल बोल कर पढ़ना।
जल्दी जल्दी पढ़ना।
धीरे धीरे पढ़ना।
पढ़ते हुए खो जाना।
पढ़ते-पढ़ते नींद आना।
गलतियां निकालते हुए पढ़ना।

कैसे एक आम आदमी अमीर बन सकता हैं:HOW A COMMON MAN CAN BECOME RICH
Nice speaking sir
Thank You Mr. Narendra ji
Very amazing words.
Superb knowledge sir ji
Very nice sir ji
thank u so much ji
Amazing sir.
thank you mr. laxman ji